Financial Statement and Financial Statement Analysis

Financial Statement

Financial Statement and Financial Statement Analysis:-

Financial Statement से आशय उन Statement से है जो एक निश्चित अवधि का व्‍यापारिक परिणाम बताने तथा एक निश्‍चित तिथि को व्‍यापार की आर्थिक स्थिति को स्‍पष्‍ट करने हेतु बनाए जाते हैं। इन्‍हें Final Account भी कहते है । इन्‍हें Final a/c कहा जाता है क्‍योंकि  ये साल के अंत में ही बनाए जाते है और इन खातों के बनाने के बाद अन्‍य कोई लेखा नहीं किया जाता। इसके बाद नया वर्ष प्रारंभ हो जाता है। Financial Statement शब्‍द में दो आधारभूत Statement Include होते है, जो निम्‍नलिखित है -
(A) Trading and Profit and Loss Account (व्‍यापार एवं लाभ हानि खाता)
(B) Balance Sheet (चिट्ठा तैयार किया जाता है) 
Financial Statement साप्‍ताहिक , मासिक या त्रैमासिक तैयार नहीं किये जाते अपितु Financial Year के End में ही तैयार किये जाते है। 

Importance and Purpose of Preparing of Financial Statement:-

A) Business का लाभ या हानि ज्ञात करना।
B) Business की आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्‍त करना अर्थात व्‍यापार की सम्‍पत्‍ति‍यों एवं दायित्‍वों की जानकारी प्राप्‍त करना।
C) इसके तैयार करने के पर ही Book keeping रखने का प्रमुख उददेश्‍य पूर्ण होता है।

Use of Financial Statement:-

A) Management
B) Investor
C) Creditor
D) Employees
E) Governments
F) Tax Determination

A) Management:- Financial Statement विभिन्‍न क्रियाओं तथा विभिन्‍न departments की लाभप्रदता का निधार्रण करने में प्रबंध की सहायता करते हैं। इनके आधार पर प्रबंधक व्‍यवसाय की प्रगति की जांच कर सकते हैं।
B) Investors:- Financial Statements की सहायता से ये व्‍यवसाय की  अल्‍प कालीन एवं दीर्घ कालीन Financial सुद़ढता तथा लाभ उपार्जन क्षमता का निर्धारण किया जा सकता है। जिससे वह बिक्री की प्रवृत्ति, लाभ की प्रवृत्ति, आदि का भी अध्‍ययन कर सकते हैं।
C) Creditor:-
a) Long term Creditors:- ये Financial Statement के आधार पर यह निश्चित करत सकते है कि 
1. क्‍या संस्‍था नियमित रूप से ब्‍याज का भुगतान कर पाएगी।
2. क्‍या संस्‍था ऋणों के देय होने पर इनका भुगतान कर पाएगी। इस आधार पर वह संस्‍था को दिए गए ऋणों में वृद्धि करने, वर्तमान स्‍तर पर रखने अथवा कमी करने का निर्णय ले सकते हैं।
b) Short term Creditors:- ये Financial Statements के आधार पर पता लगाते हैं कि क्‍या संस्‍था ऋणों के देय होने पर इनका भुगतान कर पाएगी और यह निर्णय ले सकते है कि उनके द्वारा संस्‍था को दी गई उधार में वृद्धि की जाए, वर्तमान स्‍तर पर रखा जाए अथवा इसमें कमी की जाए।

D) Employees:- कर्मचारियों के पारिश्रमकि, कार्यक्षमता के मूल्‍यांकन, उनको लाभ पहुंचाने एवं वरीयता  प्रदान करने में लेंखांकन सहायक होता है।

E) Governments:- योजना बनाने के लिए, लाइसेंस प्रदान कराने के लिए, हिसाब किताब नियमानुसार रखने के लिए, ऋण देने के लिए इत्‍यादि कार्यों के लिए सुवधिाजनक होता है।

F) Tax Determination :-  Tax निर्धारण में सहायक होता है।

Financial Statement Analysis

      एक Financial year के सभी Transaction को विभिन्‍न Books में क्रमबद्ध तरीके से लिखकर वर्ष के अंत में इन Transactions के Data काे analysis करने के लिये Financial Statement तैयार किए जाते है। 
A) Trial Balance
B) Final Accounts
a) Trading Account:- Manufacturing and Trading account से आशय एक निश्‍चित अवधि में माल के क्रय विक्रय अथवा निर्माण से होने वाले लाभ हानि को जानने के लिए बनाया जाने वाला खाता है। Trading Account का परिणाम सकल लाभ(Gross Profit) या सकल हानि(Gross Loss) होता है। सकल लाभ से आशय माल के विक्रय मूल्‍य का उसकी लागत की अपेक्षा आधिक्‍य, जबकि इसके विपरीत लागत मूल्‍य का विक्रय मूल्‍य से आधिक्‍य सकल हानि होती है।

Trading Account व्‍यापार के Gross Profit and Gross Loss को ज्ञात करने के लिए बनाया जाता है जो व्‍यापारिक क्रियाओं के परिणामस्‍वरूप होता हैा इस account में व्‍यापार में हुए Purchase, Sales, Sales Return or Purchase Return, Opening Stock, Closing Stock भी लिखे जाते है। 

ये सभी माल संबंधी खाते है साथ ही साथ इसमें सभी प्रत्‍यक्ष व्‍यय शामिल किये जाते है प्रत्‍यक्ष खर्चों से हमारा आशय उन खर्चो से है जो माल के क्रय करने संबंधी व्‍यय, माल को विक्रय योग्‍य अवस्‍था में लाने या माल के निर्माण में किए जाते है। ये खर्च माल की लागत का एक अंग हाेते है अत: इन्‍हें भी व्‍यापार खाते में लिखा जाता है प्रत्‍यक्ष व्‍ययों में आवक गाडी भाडा मजदूरी चुंगी ईधन शक्ति व प्रकाश फैक्‍टरी का किराया बिजली एवं निर्माणी व्‍ययों का शमिल होते है।

Definition:

बाटली बॉय के अनुसार- " व्‍यापारिक खाता वह है जो माल के क्रय विक्रय का आर्थिक परिणाम दर्शाता है। इस खाते के बनाने में सामान्‍य स्‍थापना व्‍ययों को छोड दिया जाता है, इसमें केवल माल संबंधी सौदों को ही लिखा जाता है। "

Object of Trading Account:-

A) Gross Profit and Gross Loss ज्ञात करना।
B) विगत वर्षों के क्रय-विक्रय,प्रत्‍यक्ष व्‍ययों, रहतिया तथा व्‍यापारिक खाते के परिणामों का तुलनात्‍मक अध्‍ययन कर व्‍यापार की प्रगति अथवा अवनति का पता लगाना।
C) माल के क्रय एवं उत्‍पादन संबंधी सूचनाऐं प्राप्‍त करना।
D) बेचे गए माल की लागत की गणना करना।
E) सम्‍भावित हानि से सुरक्षा करना।

Profit and Loss Account:-


किसी निश्‍चित अवधि के पश्‍चात व्‍यापार के शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि ज्ञात करने के उददेश्‍य से तैयार किया गया खाता Profit and Loss Account कहलाता है। इसमें सकल लाभ या सकल हानि तथा अप्रत्‍यक्ष आयगत व्‍यय एवं आयगत आयों का लेखा किया जाता है।

Profit and Loss Account में Dr. पक्ष की तरफ सभी Expenses को दर्शाते है तथा Cr. पक्ष की तरफ सभी Incomes को दर्शाते हैं। यदि income -expenses से अधिक होते हैं तो अंतर Net Profit होता है और यदि expenses- incomes से अधिक होता है तो अंतर Net Loss होता है।


व्‍यापारिक खाता बनाने से क्रय विक्रय होने वाला सकल लाभ और हानि तो ज्ञात हो जाती है, परन्‍तु इसके बनाने से Net Profit and Net Loss का पता नहीं चलता। अत: इसका पता लगाने के लिए लाभ हानि खाता तैयार किया जाता है।

"लाभ हानि खाते का आशय उस खाते से है जिसमें समस्‍त आय एवं व्‍यय एकत्रित किए जाते है। जिससे आय की व्‍यय से या व्‍यय की आय से अधिकता ज्ञात की जा सकें।"

Necessity object of Profit and Loss account

1 . इसके द्वारा व्यवसाय के शुद्ध लाभ - हानि का ज्ञान होता है ।
2 . इसके द्वारा व्यापार में किये गये संपूर्ण अप्रत्यक्ष व्ययों की जानकारी मिल जाती है ।
3 . गत वर्षों के शुद्ध लाभ - हानि का तुलनात्मक अध्ययन करके हानि होने की दशा में हानि के कारणों का पता लगाकर उन्हें रोकने अथवा दूर करने के प्रयास किये जा सकते है । 
4 . वास्तविक लाभ के आधार पर व्यवसाय के भावी विकास की योजना बनाई जा सकती है । 
5 . इससे व्यापार की अन्य प्राप्तियाँ जैसे - कमीशन प्राप्त , ब्याज प्राप्त , बट्टा प्राप्त , किराया प्राप्त की भी जानकारी प्राप्त होती है ।

Balance Sheet:-

Trading तथा Profit and Loss Account तैयार कर लेने के उपरांत कोई व्‍यापारी अपने व्‍यवसाय की Financial Condition के बारे में जानना चाहेगा। इस purpose के लिए वह किसी particular day पर अपने assets and liabilities का Statement तैयार करेगा इस Statement को बैलेंस शीट के रूप में जाना जाता है। अत: किसी Balance sheet को इस तरह define किया जा सकता है-
" किसी Fixed Date को Business की Financial Condition मापने वाले View से तैयार किया जाने वाला Statement"

Balance Sheet में दो पक्ष होते है Left Side की ओर Business की Liabilities लिखी (रखी) जाती है तथा Right Side की ओर Business के Assets को लिखा (रखा) जाता है। Balance Sheet के दोनों Side का  योग बराबर आता है तो इस बात का प्रमाण है कि चिट्ठा नियमानुसार और सत्यता के साथ बनाया गया है ।

व्यापार तथा लाभ - हानि खाता बनने के बाद तलपट के समस्त आय – व्यय खाते समाप्‍त हो जाते हैं और लाभ - हानि खाते के शुद्ध लाभ या हानि को पूंजी खाते में हस्तांतरित कर दिया जाता है। इसके बाद तलपट में व्यक्तिगत एवं सम्पत्ति खाते ही शेष रह जाते हैं । इनकी सहायता से एक निश्चित तिथि को व्यापार की आर्थिक स्थिति जानने के लिए एक स्थिति विवरण अर्थात् चिट्ठा बनाया जाता है । यह खाता नहीं वरन् व्यापार का संक्षिप्त आर्थिक विवरण है ।

Objects / Advantages / Utility of Balance - Sheet:-  

1 व्यापार की कुल सम्पत्ति तथा उसके रूप का ज्ञान चिट्ठे के माध्यम से हो जाता है ।
2. सम्पत्ति के साथ कुल दायित्वों ( देनदारी ) की जानकारी प्राप्त होती है। 
3. चिट्ठा बनाये जाने वाली तिथि पर Cash in Hand तथा बैंक में रोकड़ का ज्ञान हो जाता है ।
4. व्यवसाय की पूंजी में कितनी कमी या बढ़ौतरी हुई है इसका ज्ञान प्राप्त होता है । 
5. पूंजी की रकम का ज्ञान होता है । 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Tally Installation Tally Data Directory And Folder Configuration

Exception Reports like Negative Stock & Ledger in Tally