Terminology of Accounting

Terminology of Accounting




Accounting की Terminology निम्‍नानुसार है -

Business:- लाभ कमाने की भावना से किया जाने वाला प्रत्‍येक वैध उद्यम व्‍यवसाय कहलाता है। जिसमें वस्‍तुओं का क्रय विक्रय, यातायात , बैंक , बीमा भण्‍डारण, खनिज, उद्योग आदि आर्थिक कारोबार शामिल है।

Capital:- उस धनराशि अथवा सम्‍पत्तियों को पूंजी कहा जाता है जिसे व्‍यवसाय का स्‍वामी लाभ कमाने के लिए व्‍यवास में लगाता है।

Transaction:- व्‍यवसाय में दो पक्षों के बीच माल, मुद्रा अथवा सेवा के पारस्‍परिक आदान प्रदान या किसी भी ऐसी घटना जिसका मुद्रा में मापनीय आर्थिक प्रभाव से हो तो उस व्‍यवहार को सौदा कहा जाता है।
a) Cash Transaction: यदि व्‍यवहार नकद अथवा तत्‍काल बैंक भुगतान के माध्‍यम से किया जाता है तो उसे नकद व्‍यवहार कहते हैं।
जैसे मदन ने 400 रूपये का माल, खरीदा और तुरन्‍त रूपये नकदी चुका दिए।

b) Credit Transaction: जिन सौदों का भुगतान तुरन्‍त नहीं किया जाकर कुछ समय पश्‍चात करने की व्‍यवस्‍था हो तो ऐसे व्‍यवहार उधार या साख व्‍यवहार कहलाते हैं।
जैसे मोहन ने 800 रूपये का माल बेचा किन्‍तु राशि दो महिने बाद मिलेगी।

c) Adjustment Transaction: जर्नल, लेजर एवं Trial Balance आदि मे त्रुटि होने अथवा समय बीतने के साथ उदित होने वाले ब्‍याज, कमीशन , उच्‍चावचन, हृास आदि की घटनाऐं घटित होना समायोजन व्‍यवहार कहलाते हैं।

d) Bill Transaction:- यदि नकदी सेवा अथवा माल का आदान प्रदान विनिमय विपत्र के माध्‍यम से होता है तो इसे विपत्र व्‍यवहार कहते हैं। जैसे गिरधारी ने 1200 रूपये का उधार माल चन्‍दर को बेचा। इसके बदले चंदन ने 1200 रूपये का 3 माह का बिल स्‍वीकृत करके दिया।

Purchase: व्‍यापार के सामान्‍य अनुक्रम में बेचने के लिए अथवा निर्माण प्रक्रिया के लिए जो माल खरीदा जाता है उसे क्रय कहते हैं। जब क्रय तत्‍काल भुगतान करके किया जाता है तो उसे नकद क्रय कहते हैं और जो कुछ समय बाद भुगतान करने की शर्त पर किया जाता है उसे उधार क्रय कहते है।

Sales:- उत्‍पादक, थोक व्‍यापारी, फुटकर व्‍यापारी अथवा एजेन्‍ट जब अपने व्‍यापार योग्‍य माल को मूल्‍य के बदले ग्राहकों को हस्‍तांतरित करते है तो यह विक्रय कहलाता है। विक्रय उधार व नकद दोनों प्रकार के होते है।

Purchase Return:- जब खरीदे हुए माल को किसी दोष के कारण अथवा गलत मात्रा में माल आ जाने आदि के कारण विक्रेता को लौटा दिया जाता है तो उसे Purchase Return या Return Outward कहा जाता है।

Sales Return :- जब बचे हुए माल अथवा उसके किसी भाग को सामने वाला वापिस कर देता है तो यह विक्रय वापसी आन्‍तरिक (Return Inward) कहा जाता है।

Turn over:- किसी निश्चित अवधि में व्‍यापारी द्वारा नगद तथा उधार बेचे गए माल का कुल बिक्री या कुल विक्रय कहलाता है।

Discount:- व्‍यापारी द्वारा अपने ग्राहक को क्रय अथवा विक्रय पर जो मूल्‍य रियायत कटौती या छूट प्रदान की जाती है उसे उपहार कहा जाता हैा जो बट्टा क्रय पर मिलता है वह प्राप्‍त बट्टा और जो बट्टा विक्रय पर दिया जाता है वह देय बट्टा कहलाता है।

Trade Discount:- अधिक माल खरीदने हेतु प्रेरित करने की दृष्टि से जब व्‍यापारी द्वारा अपने क्रेताओं को माल के अंकित मूल्‍य पर कोई छूट प्रदान करता है तो यह कमी व्‍यापारिक बट्टा कहलाती है। यह बट्टा नकद और उधार दोंनों प्रकार के विक्रय पर दिया जा सकता है। उदा0 एक बेग का व्‍यापारी एक बेग जिसका अंकित मूल्‍य 100 रूपये है अपने ग्राहक को 90 रूपये में विक्रय कर देता है, यह 100-90=10 रूपये व्‍यापारिक छूट कहलाएगी व्‍यापारिक छूट की जर्नल प्रविष्टि नहीं की जाती है।

Cash Discount:- बेचे गए माल का भुगतान शीघ्र कर देने के लिए ग्राहक को प्रेरित करने के लिए जो छूट दी जाती है वह नकद बट्टा कहलाता है जिस ग्राहक को उधार माल बेचा गया है यह भी यदि समय से पूर्व भुगतान कर देता है तो उसे भी यह छूट प्रदान की जाती है इस छूट की राशि की प्रविष्‍टि लेखा पुस्‍तकों में की जाती है।

Drawing:- व्‍यापारी जब अपने निजी उपयोग के लिए माल अथवा नगद राशि व्‍यापार से निकाल लेता है तो इसे आहरण कहते हैं।
Assets:-
       प्रत्येक व्यवसाय में विभिन्न प्रकार की संपत्तियों का प्रयोग व्यवसाय को चलाने के लिए किया जाता है इन संपत्तियों का मूल व्यवसाय के आकार एवं प्रकृति के द्वारा प्रभावित होता है संपत्तियों का प्रयोग आए कमाने के लिए किया जाता है
Cash, bank in hand, plant, machinery, furniture, debtors, stock, land, building etc. Assets मैं होने वाले परिवर्तन का लेखा विधि बात किया जाना चाहिए
 पूंजी में वृद्धि को क्रेडिट वा पूंजी में कमी को डेबिट किया जाता है
 इस कारण संपत्ति में वृद्धि को डेबिट किया जाएगा क्योंकि इसके द्वारा स्वामी की पूंजी में कमी हो जाएगी और इसके विपरीत संपत्ति में कमी को क्रिएट किया जाएगा क्योंकि इससे स्वामी की पूंजी में वृद्धि होगी



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